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Una News - कुठेड़ा जसवालां की गोशाला में अव्यवस्था: बेजुबान गोधन पर संकट गहराया

Una News - कुठेड़ा जसवालां की गोशाला में अव्यवस्था: बेजुबान गोधन पर संकट गहराया

Una News - Chaos in Kuthera Jaswal's Gaushala: Crisis deepens on mute cattle


Una News | ऊना जिले में इस समय बड़ी संख्या में गौशालाएं हैं, जो मवेशियों की अच्छी देखभाल के अलावा सरकार से वित्तीय सहायता भी प्राप्त करती हैं। इससे जरूरत के अनुसार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जा सकती हैं। Una News इसके अलावा गगरेट उपमंडल के कुठेड़ा जसवाला में संचालित गौशालाओं की स्थिति यह दर्शाती है कि हालांकि इनका संचालन मवेशियों की सुरक्षा के इरादे से किया जा रहा है, लेकिन वे वहां आने वाले मवेशियों को सुरक्षित माहौल, अच्छी छत और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के अपने उद्देश्य से अभी भी काफी दूर हैं। आपको बता दें कि इस गौशाला में करीब 63 पशुधन (गाय और बैल) हैं। गौशाला में एक साथ दो शेड हैं। 

मवेशियों को दूसरे शेड में खुला छोड़ दिया जाता है, जबकि पहले शेड में उन्हें बांध दिया जाता है। इस कारण खुले में रखी गई गायों और बैलों के बीच टकराव के कारण अक्सर चोटें आती रहती हैं। मवेशियों को शेड से बाहर छोड़े जाने पर गायों और बछड़ों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग जाता है। इसके साथ ही कई दिनों से खुले में छोड़े गए दो बछड़े गंभीर रूप से घायल होकर जमीन पर पड़े हैं, जो मदद आने का इंतजार कर रहे हैं। Una News in Hindi  हैरानी की बात यह है कि सरकार व प्रशासन द्वारा इन गौशालाओं को वित्तीय सहायता दिए जाने के बावजूद वहां पशुओं की दुर्व्यवस्था व अनुचित व्यवस्था इन गौशालाओं द्वारा पशुओं के लिए कथित रूप से दिए जाने वाले उत्तम प्रावधानों की पोल खोलती है। 

तीन दिन बाद भी मूक पशुओं की देखभाल में प्रशासन की लापरवाही जारी - Una News Today 


इसके अलावा, अनुचित परिवेश व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े होते हैं। इस बीच, प्रबुद्ध वर्ग ने मांग की है कि जिलाधीश ऊना तुरंत कुठेड़ा जसवाल गौशाला का दौरा करें, वहां की दुर्व्यवस्था को दूर करने के आदेश दें तथा बेहोश बछड़ों के उपचार के लिए डॉक्टरों की टीम भेजें। हैरानी की बात यह है कि उपमंडल गगरेट के अंतर्गत स्थित इस गौशाला में पशुओं की दुर्व्यवस्था पर प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया है। लेकिन शुक्रवार को तहसीलदार व सरकारी कर्मचारियों द्वारा गौशाला का दौरा किए जाने के बावजूद तीन दिन बीत जाने के बाद भी मूक पशुओं की देखभाल व उपचार के लिए कुछ नहीं किया गया। 

इससे पता चलता है कि सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। हालांकि, कलोह (गगरेट) तहसीलदार जागृति ने कहा कि गौशाला की जांच के बाद कमियां पाई गई हैं, तथा आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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