Una News Today - निजी लड़ाई को लूट बताने की साज़िश बेनकाब: झूठा निकला लूट का मामला
Una News Today | हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के थाना हरोली के अंतर्गत पोलियां गांव में बीते रविवार को हुई वारदात में नया मोड़ आया है। पुलिस जांच में पता चला कि यह मामला पूरी तरह से झूठा है। युवक की निजी दुश्मनी के चलते फर्जी शिकायत दर्ज करवाई गई। जांच में पता चला कि युवक को अखबारों में छपी खबर के आधार पर फर्जी रिपोर्ट मिली थी। Una News Today जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले प्रिंस नामक युवक ने थाना हरोली में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि पोलियां के पास सुबह उसके साथ लूट हो गई है। यहां उसने तीन अज्ञात नकाबपोश युवकों पर वारदात को अंजाम देने का आरोप लगाया था। उसने पुलिस को बताया कि आरोपियों ने उस पर तलवार से हमला कर 15 हजार रुपये की नकदी और चांदी की चेन व कंगन लूट लिए।
इसके साथ ही पुलिस ने भी तत्परता दिखाते हुए रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी। चार घंटे से भी कम समय में पुलिस ने पंजाब से तीन और संदिग्धों को पकड़ लिया, लेकिन उनसे पूछताछ करने पर आरोपियों का बयान बदल गया। Una Latest News मुख्य आरोपी मनीष कुमार उर्फ मेशू और वादी के बीच पहले से ही दुश्मनी थी। दोनों के बीच पहले भी दो-तीन बार झगड़ा हो चुका था। मनीष कुमार ने इस बार प्रिंस को पीटने की योजना बनाई थी, क्योंकि शिकायतकर्ता ने पहले भी उसे हरा दिया था। मनीष कुमार ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता को पोलिया के पास सुनसान जगह पर रोक लिया और डंडे से मारा।
शिकायतकर्ता ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उसका मनीष कुमार से पहले भी झगड़ा हुआ था, लेकिन उसने यह भी कहा कि उसने पोलिया में ऐसी ही घटनाओं के बारे में अखबारों में पढ़ा था। मनीष और उसके दोस्तों को सबक सिखाने के लिए उसने हॉलीवुड के अंदाज में लूट की एक काल्पनिक कहानी गढ़ी और आरोपियों के खिलाफ लूट का मामला दर्ज करवाया।
जानिये कैसे सामने आयी इस मामले की असली सचाई - Una News
पुलिस ने अपनी जांच से निष्कर्ष निकाला कि शिकायतकर्ता ने उन्हें गलत धारणा दी थी। वीडियो की समीक्षा करने के बाद पता चला कि तीनों आरोपी हिमाचल पहुंचते ही एक पेट्रोल पंप पर रुके थे, जहां वे सभी उचित पोशाक पहने हुए देखे जा सकते थे। उनमें से किसी ने भी काली पट्टी नहीं पहनी थी। शिकायतकर्ता ने प्रथम सूचना रिपोर्ट में दावा किया कि वह अपनी जान बचाने के लिए जंगल में भाग गया था, लेकिन पुलिस को पोलिया के पास से लिए गए टेप से पता चला कि शिकायतकर्ता घटना के बाद आरोपियों से दो से चार मिनट पहले ही पोलिया पहुंचा था।
इस तरह, यह पता चला कि शिकायतकर्ता की लगभग आधी कहानी झूठी थी। रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। जहां आरोपियों को जमानत देकर रिहा कर दिया गया। पुलिस ने डकैती की धारा को रद्द कर दिया है और चार्जशीट में मारपीट की धारा जोड़ दी है। हालांकि, जिला पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह ने कहा है कि सच्चाई को उजागर करने में निश्चित रूप से समय लगा है। पुलिस ने सच्चाई को उजागर कर दिया है। शिकायतकर्ता ने अब स्वीकार किया है कि मामले में घटित घटना डकैती नहीं थी।
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