Una News Today - दो समुदायों की नारेबाजी: एमसी पार्क से मिनी सचिवालय तक रैली, जानें पूरी खबर
Una News Today | महर्षि वाल्मीकि गुरु रविदास युवा एकता महासभा के पदाधिकारियों पर दर्ज पुलिस केस के विरोध में वाल्मीकि व दलित समाज के लोगों ने गुरुवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। इस बार कई पंजाबी संगठनों के प्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन में हिस्सा लिया। दोनों समुदायों ने धमकी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर उक्त केस को रद्द नहीं किया गया तो वे हाईवे बंद कर देंगे। Una News Today एमसी पार्क से मिनी सचिवालय होते हुए जिला कार्यालय तक निकाले गए विरोध मार्च के दौरान नारेबाजी की गई। मिनी सचिवालय में डीसी ऊना जतिन लाल व एसपी ऊना राकेश सिंह को ज्ञापन सौंपकर एफआईआर को रद्द करने व सोशल मीडिया पर दलित व वाल्मीकि समाज के खिलाफ अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
गुरुवार को एमसी पार्क में दोनों समुदायों की भारी भीड़ जुटी, जिसके बाद महर्षि वाल्मीकि गुरु रविदास युवा एकता महासभा के पदाधिकारियों पर दर्ज केस को खारिज करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया। कई वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए और बदलाव का आह्वान किया। एमसी पार्क में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सभी प्रदर्शनकारियों ने मिनी सचिवालय की ओर कूच किया और नारेबाजी करते हुए डीसी और एसपी ऊना को ज्ञापन सौंपा तथा एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया।
इसके अलावा, किसी भी झगड़े को रोकने के लिए पुलिस को भी बुलाया गया। जब एसपी राकेश सिंह एमसी पार्क पहुंचे तो उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और प्रदर्शनकारियों को किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अपने विरोध प्रदर्शन को अहिंसक रखने की सलाह दी। इस दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए एएसपी संजीव भाटिया, एएसपी सुरेंद्र शर्मा, डीएसपी अजय ठाकुर, डीएसपी मोहन रावत और एसएचओ मनोज वालिया को भी पुलिस बल के साथ तैनात किया गया था।
जानिये मामले की सचाई - Una News
गौरतलब है कि हरोली उपमंडल के एक युवक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उसने वाल्मीकि मोहल्ले के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस पर महर्षि वाल्मीकि गुरु रविदास युवा एकता महासभा के पदाधिकारियों ने आपत्ति जताई और हरोली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने उक्त युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया। हंगामा तब शुरू हुआ जब आरोपी युवक को महासभा के अधिकारियों ने पकड़ लिया और पैदल ले जाते हुए प्रशासन को सौंप दिया। पूरी प्रक्रिया का लाइव प्रसारण किया गया। जिला मुख्यालय पर कुछ अन्य समूहों, खासकर उच्च जाति के समाज ने इसका विरोध किया और इसे "कानून को अपने हाथ में लेना" बताया।
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