Latest Himachal News in Hindi - किन्नौर में ग्लेशियल झीलों का अध्ययन: विशेषज्ञ टीम की गठना से पर्यावरण पर बड़ा असर
Himachal News Today | मानसून का मौसम अपने साथ अव्यवस्था और बड़े पैमाने पर नुकसान साथ लेकर आता है। खास तौर पर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में और पहाड़ी इलाकों में। हर वर्ष भारी बारिश से होने वाले संभावित नुकसान को कम करने के लिए पहले से ही तैयारी की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में हुए नुकसान और जान माल के नुकसान को ध्यान में रखते हुए किन्नौर जिले के डिप्टी कमिश्नर अमित कुमार शर्मा ने सांगला कांडा और कलश कांडा में बनी दो ग्लेशियल झीलों से संबंधित खतरों का जायजा करने के लिए एक अभियान चलाने के लिए एक टीम के गठन की घोषणा की है। Himachal Live News इस टीम में सेना, आइटीबीपी, राजस्व विभाग, स्थानीय निवासी, राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर और सी डैक के अधिकारी शामिल होंगे। यह टीम इन जिलों की स्थिति का बुरा करेगी ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि यह स्थानीय आबादी के लिए कोई भी चिंता का कारण नहीं है। अभियान जुलाई के दूसरे सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। पहाड़ी क्षेत्र में ग्लेशियर से बनी झीलें, जिन्हें ग्लेशियल जिले भी कहा जाता है, मुख्य रूप से बाढ़ की संभावना के कारण सबसे जरूरी जोखिम पैदा करती थी। यह झीलें तब बनती हैं जब ग्लेशियरों से पिघला पानी प्राकृतिक अवसाद वाले स्थान पर जमा हो जाता है। ग्लेशियल जिलो से जुड़े जोखिमों के अंतर्गतबाढ़, बुनियादी ढांचे को नुकसान, जान माल की हानी और पर्यावरण पर प्रभाव आदि शामिल है।
बैठक में क्या लिया निर्णय - Himachal News Today
शमन रणनीतियों में ग्लेशियल झीलों की निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली को विकसित करना भी शामिल है। इसीलिए मानसून के मौसम की तैयारी की समीक्षा के लिए हाल में ही किन्नौर जिले के रिकांगपियो में डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में जिले में उन क्षेत्रों की पहचान करने पर जोर दिया गया जहां मानसून के मौसम के दौरान आपातकालीन स्थिति आने की तैयारी रखना की आवश्यकता है।
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